डर लगा था कहने मे की प्यार है तुमसे सोचता था बताऊ कैसे की एतबार है तुमसे याद मे तुम्हारी नींद नहीं आती थी और तुमसे बात करने मे शर्म बहुत आती थी मिलने पर लगता था की बस बोलदू क्युकी तुमसे प्यारी कभी देखि नहीं थी पर अब वो ना राते याद आएंगी और ना ही वो मुलाकाते याद आएंगी जब डर था की तुम ना कह दोगी लेकिन अब बस वो प्यार भारी बाते याद आएंगी क्युकी अब तुम मेरी हो और सिर्फ मेरी हो Pehli mulaqat