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काली कुछ-कुछ रात थी उस दिन, चमक रही थी बिजली, गरज

काली कुछ-कुछ रात थी उस दिन,
चमक रही थी बिजली,
गरज रहे थे बादल गढ़-गढ़,
यमुना भी भरकम हो चली, Happy Janmashtami-16
काली कुछ-कुछ रात थी उस दिन,
चमक रही थी बिजली,
गरज रहे थे बादल गढ़-गढ़,
यमुना भी भरकम हो चली, Happy Janmashtami-16