डॉक्टर सुरजीत सिंह गांधी ने इस सूचकांक की विसंगतियों पर प्रकाश डाला है भारत सरकार ने इसे खरीद कर कर उचित ही किया केवल श्रीलंका के उदाहरण से ही इसकी वास्तविकता की पोल खुल जाती कुछ महीने पहले श्रीलंका की स्थिति को पूरी दुनिया ने देखा कि अपनी अजीबोगरीब नीतियों की वजह से वह खाद्य संकट उत्पन्न हो गया इसी स्थिति में भारत ने ही उसकी मदद की वहीं श्रीलंका ने सूचकांक में भारत से ऊपर रखा गया लेखक महोदय ने उचित ही कहा है कि यह सूचकांक भुखमरी और कुपोषण में कोई अंतर नहीं है करता इनका यह तर्क भी सही गलत लगता है जब संयुक्त राष्ट्रीय और तमाम अन्य अविश्वसनीय एजेंसी विभिन्न पैमानों पर अलग-अलग अध्ययन करती है तो भला किसी एनजीओ की इसका वादियों को क्यों इतना महत्व दिया जाए साथ ही तो इसे तैयार करने वाली संस्था ने करुणा जैसी महामारी के दौरान और उसके बाद से लगातार चल रही मुफ्त खदान जैसी योजना की भी अनदेखी की है ©Ek villain #dost #संस्था के साथ पर ही सवाल