बार बार अतीत को याद कर के भविष्य को क्यों बर्बाद करना, खुदा से न मिलने की फरियाद है तो बार बार याद ही क्यों करना, यादों का ये एहसास जीने का सहारा नहीं, ज़िन्दा मौत की डगर है, सम्भल के चलना कहीं जीते जी ज़िन्दगी से ही हाथ मत धो बैठना। फिर वही रात थी, और आपकी यादो से मुलाकात थी; फिर वही बात थी, खुदा से वही आपके न मिलने की फरियाद थी । फिर वही रात थी, फिर वही याद थी; कल एहसास में ही सही, वो मेरे साथ थी ।