सुनो, मेरी उदासी तुम वो हो जो कभी मुझसे जुदा नहीं होना चाहती पर मैं क्या करूं मैं तुम्हें अपना कहना भी नहीं चाहता जहां देखता हूँ बस तुम ही नज़र आती हो, खामखा-बेवजह ही अक्सर चली आती हो, जब भी तुमको मुझ पर प्यार आता है तो मेरी हमराज बन जाती हो और जब तुम्हें गुस्सा आता है तो मेरी दुश्मन बन जाती हो... मगर सुनो ना, ए मेरी उदासी मेरी बातो का बुरा मत मानना तुम ही तो हो जो मुझे अकेला पा कर मुझे अकेला नहीं छोड़ती और दूसरो को ये एहसास दिलाती हो कि कोई अभी भी उनका इंतज़ार बड़ी शीदाद से कर रहा है और इन सब के लिए तुम्हारा शुक्रिया मेरी उदासी। -तुम्हारी दोस्त #december #लेटर - मेरी उदासी