सुबह के 5:30 बजे थे की मम्मी की आवाज आती है , अभी और कितनी देर सोती रहोगी तुम सब जल्दी उठो स्कूल नहीं जाना है क्या , हम्म्म.. स्कूल के नाम से मानों नींद ही उड़ जाती थी , देर से स्कूल पहुंचे तो स्कूल गेट पर, वो देर से स्कूल पहुंचे बच्चों की लम्बी लाइन,हमारे दोनों हाथ और प्रधानाचार्य का डण्डा .. प्रधानाचार्य से सुबह-सुबह की मार से बेहतर जल्दी स्कूल पहुंचना और सबसे अच्छी बात की पहले पहुंच कर हम अपने दोस्तों के साथ खेल कूद पाते थे , स्कूल में हम जितना पढ़ने के लिए जाते थे उससे कई गुना ज्यादा अपने दोस्तों के साथ वक़्त बिताना अच्छा लगता था , स्कूल जाने से पहले बैग तैयार करना ,कोई कॉपी तो नहीं भूली , विशेषकर हिंदी ,अंग्रेजी और गणित , हिंदी की टीचर बेवजह ही मरती रहती थी , अंग्रेजी और गणित पसंदीदा विषय तो कॉपी किताब कैसे भूल सकते थे , फिर स्कूल की मोड़ के पास दोस्तों का इंतिजार करना , फिर बातें करते करते स्कूल जाना , प्रार्थना करते समय धीरे से एक आंख खोल कर "पास में कोई है तो नहीं " देखकर अपनी दोस्त से बात करना और चुपके से पंक्ति में अपने आगे खड़ी दोस्त को गुदगुदी करना , फिर किसी तरह चार विषय पढ़कर लंच का इंतिजार करना , लंच में समोसे ,हाजमोले ,इमली , कैथे ,ये सब खरीदना और स्कूल की छुट्टी होने तक ये सब चुपके चुपके खाते रहना , आज फिर से स्कूल की बहुत याद आ रही है , वो दोस्त , वो बचपन और वो सारे लम्हे , सब कुछ... SONAMKURIL आज एक बार फिर ये दिल स्कूल जाना चाहता है #SCHOOLMEMORIES #SCHOOLFRIENDS #SCHOOLDAYS #SCHOOLSTORY