*सम्पूर्ण पवित्रता* पूजा होगी जग में तुम्हारी श्रेष्ठ कर्म अपनाओ मन की पावनता को कर्मों का आधार बनाओ व्यर्थ अशुद्ध विचारों से खुद को मुक्त बनाओ पवित्रता की यथार्थ परिभाषा समझते जाओ हर आत्मा से समान सम्बन्ध सम्पर्क निभाओ सम्पूर्ण पवित्रता के लिए सर्व कमियां मिटाओ शूक्ष्म अशुद्धि रह गई तो पूज्य ना बन पाओगे खण्डित मूर्ति जैसे ही बच्चों तुम रह जाओगे मनसा वाचा कर्मणा की अपवित्रता मिटाओ सम्पूर्ण पवित्र बनकर पूज्य आत्मा कहलाओ पवित्रता की कसौटी पर जांच खुद की करना मैं हूँ सम्पूर्ण शुद्ध आत्मा याद यही तुम करना *ॐ शांति*