कुछ बात दफ़न है 👇 कविता अनुशीर्षक में पढ़े कुछ बात दफ़न है टूटी हुई खण्डरों में जो बन्द है तालों से जहाँ कोई आता जाता नही सालों से कुछ बात दफ़न है इस कब्रिस्तान में जहाँ न जाने कितने दफ़न है