छोटी सी बात किसी शहर की भीड़भाड़ के बीचों-बीच बैठकर जरा सुकून मिले किसी के सानिध्य में…. तो क्या बात हो..! इसी सुकून की भागम भाग में तो जीवन भर हलचल मची रहती है। दिन गुजर गया हो, शाम ढल रही हो, अंधेरा छा रहा हो... ट्राफिक की बत्तियां रंग-बिरंगी रोशनी से सड़क को रंग रही हो... जैसे हर किसी को कहीं पहुंचने की जल्दी पड़ी हो... हां! यातायात के इतने साधनों के शोर के बीच जाने कौन सी ठंडक सीने के बीचों-बीच आकर ठहर गई, बस किसी एक के पास होने से। हजारों-हजार कहानियां अपने आप ज़ुबान पर खिंची चली आती गई... और गाड़िय