ज़ख्म ******* जख्म दे कर खुद ही वे दवा देने चले आये, सह न पाए जुदाई तो,प्यार जताने चले आए। हमसे रूठ कर दूर जा बैठे थे कभी जनाब, अब हम जो रूठे हैं,तो मनाने चले आए। जब तक हम ज़िंदा थे,वे रोज़ सताते रहे साकी, इंतकाल पे हमारी अब आंसू बहाने चले आए। फूलों की दुनिया में हमे जो रखना चाहते थे कभी, आज मजार पे हमारी वे फूल चढ़ाने चले आए। ।। शुक्रिया।। ***बीना*** (04/12/2020) *************** ©Beena Tanti #poetryunplugged #ज़ख्म #मजार