उम्र.. चालीस और पचास की.. मेनोपॉज , मूड़ स्विंग.. शायद मानसिक विखंडित, या बिखरने लगता है , अस्तित्व एक बार यूं ही नहीं करती वो खुलासा जीती है शायद किसी सोच में... कहीं जीवन का आकर्षण लुप्त न हो जायें किसी भंवर में.. कभी फाइब्राइड़,कभी सर्वाइकल, कभी थाइराइड़, कभी अस्वाभिक स्त्राव अन्जाना मेनोपॉज ,या मूड़स्विंग जकड़ लेता है उसके मनोभावों को... जीवन के अनबूझे,जटिल प्रक्रियाओं से गुजरती है वो औरत....…. #मेनोपॉज #मूड़स्विंग #मनोभाव #औरत #स्त्रीअस्तित्व #महिलाओं_को_समर्पित #तूलिका