पांडुरंग.... (अभंग) जपीला प्रभाते। तोची म्या विट्ठल। पंढरीचा सखा। पांडुरंग ।। ध्रु।। जीवा लागी भेटी। जन्माचिये गाठी। राही उभा पाठी। पांडुरंग ।।१।। चंद्रभागा तीरी। ऊभा वारकरी। नामघोष करी। पांडुरंग ।।२।। कविराज पाही। पंढरीत राही। तोची लवलाही।पांडुरंग ।।३।। कविराज।© ८६९८८४५२५३ अभंग.... पांडुरंग