वो राहें जो अनजानी थीं, अनकही कोई कहानी थी, तुमने तो सुनी न थी कभी, पर मैंने हर दफ़ा मानी थी, वो सफ़र था चंद लम्हों का, परंतु यादें हज़ारों ठानी थीं, सूनी यूँ सही पर गलियाँ थी, जो तुम तक ही विरानी थीं ! कुछ रास्ते, कुछ सड़कें, कुछ मोड़ हमारे ज़ेहन में महफ़ूज़ हो जाते हैं। #सूनीसड़क #collab #yqdidi ... YQ Sahitya पर पढ़ें हिंदी साहित्य की बेहतरीन रचनाएँ। #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi