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*स्वानुभव*6/11/23 आज सफ़र में एक नन्ही परी मिल गयी

*स्वानुभव*6/11/23
आज सफ़र में एक नन्ही परी मिल गयी,हमारे सामने वाली गाड़ी में एक दंपति जा रहे थे,दो बच्चों में पहला बच्चा पिता के बाद बैठा था और दूसरी बच्ची जो एक या डेढ़ बरस की होगी,वह माँ की गोद में थी, गुलाबी रंग जैसे उसपे खिल सा गया हो,वो हमें एकटुक देख रही थी,जैसे गाड़ी की रफ़्तार बढ़ने लगी वह टाटा करने लगी, प्रतिउत्तर में मैने जब टाटा किया तो खिलखिला के हँसने लगी,उसे देख के मानो हमारा दिन ही बन गया,यह दृश्य बेहद ही आनंद भरा था....

वो कहते हैं न, बच्चों में भगवान बसते हैं... बच्चों को किसी की सहजता ही आकर्षित करती है,
बच्चों को आपके पद,सुंदरता,धन, वैभव से कोई मतलब नहीं होता,उन्हे केवल स्नेह की भाषा से ही जीता जा सकता है,
इसलिए कहा जाता है,बच्चे मन के सच्चे....काश हम सभी इतने सरल हो पायें,
निश्चल बच्चों के जैसे, उनके कोमल मन के जैसे.... 

ईश्वर का प्रेम अदृश्य है,केवल भाव से अनुभव किया जा सकता है,
 किंतु मै धन्य हूँ ,कि बच्चे मुझसे अनायास ही मन से जुड़ जाते हैं,उनके संग व निश्छल प्रेम से मेरी बड़ी सहजता से ईश्वर से मुलाकात हो जाती है... 
"मंदिर मस्जिद तो दूर हैं,चलो किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाये...ख़ुदा के एक रूप से ख़ुद को मिलाया जाये..." (पंक्तियाँ अन्य से प्रेरित) 
राधे-राधे 🙏
Sapna chanchal✍️

©Chanchal's poetry
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