#OpenPoetry "कैनवास के अंदर" माँ-बाबा के कमरे से दूर मेरे घर में एक कमरा मेरा भी था और उस कमरे में एक बहुमूल्य तस्वीर थी लड़खड़ाते हाथों द्वारा बनायी गयी तस्वीर जिसमें किसी का चित्र नहीं था पर चरित्र ज़रूर था। माँ-बाबा के बीच छोटे अक्षरों में मेरा नाम जो उनके बीच के फ़ासले को परस्पर जोड़ता था। अब, मेरा कमरा सामने है मेरी पत्नी जो मुझसे बहुत प्यार करती है सफ़ाई के दौरान कचरों के साथ उसे भी जला दिया। मैनें पूछा, वो तस्वीर? जवाब मिला, बेकार थी, आग लगा दी। 📝अभिषेक सिंह। #nojotopoem #nojotohindi #nojotolove #nojotoopenpoetry #nojotoofficial #nojotofeelings #nojotomythought #nojotomypoem