बचपन का पहला प्यार घर ,घर की अब हम क्या बात करे छोटा है।। परन्तु चन्द्र जैसा लगता है।। सारी खुशियां उतने में ही समाई है। बचपन की सारी यादें उसी घर में बिताई है।।मम्मी रात को थाल में, चंदा मामा दिखलाएगी। मेरे होठ पर वो नमी वाली मुस्कान आएगी। जब भी मै रोऊंगा दादी लोरिया सुनाएंगी। थप थप थप कर मुझे वो सुलाएंगी। बचपन की वो सारी बात बड़े होने पर याद बहुत आएंगी। फिर आंखें नम हो जाएंगी। वो दिन भी क्या दिन थे। जब सब हमारे पीछे घुमा करते थे। एक छोटा बच्चा जो पूरे घर को हसाता था। वो दिन भी अब लौट कर ना फिर आएंगे। भैया - दीदी जब मुझे गोद में उठाते थे। बाहर ले जाते थे। खूब सैर कराते थे। राजा बेटा बोल कर पप्पा बुलाते थे। मै दौड़ा - दौड़ा गिरते उठते उनके पास चला आता था। फिर वो प्यारी वाली एक झपिया लगाते थे। अब तो दिन बदल गए। खिलखिलाहट भी थम गए। अपने सपने को सकार करने। हम घर से भी निकाल गए। बचपन की वो सारी बातें याद बहुत आएंगी। फिर आंखें नम ही जाएंगी। #Ghar_ki_yaadein_aur_bachpan