फ़ौजी और ख़त अविस्मरणीय अकल्पनीय सौगात दिल से जोड़ने वाली कलम से बात प्रकट काग़ज़ पर सुरत साक्षात लगे आमने-सामने हो रही बात माँ का दुलार और पिता की डाँट सजनी के आँसू बच्चों की तुतलाहट जैसे सुनाई देती धड़कन की आहट वीरानों में सिंचे रूखा मन बन रेहट फ़ौजी और ख़त का संबंध अटूट जैसे वर्दी सर टोपी और बूट जय हिंद ! #फ़ौजी और ख़त खिचड़ी।