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गलियों में गांव के, बीते ‌ हैं दिन-चार। भूख मि

गलियों  में  गांव  के, बीते ‌ हैं  दिन-चार।
भूख मिटाने के लिए,छोड़ दिया घर-बार।
छोड़ दिया घर बार, चला परदेश कमाने।
शिक्षा हुई बेकार, चला वो  फर्ज़ निभाने।
बोले 'मन' कविराय,बात कुछ हमरी सुनियो।
भटके  वो  लाचार, शहर में गलियों-गलियों। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏

💫Collab with रचना का सार..📖

🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों  को रचना का सार..📖 के प्रतियोगिता :- 146 में स्वागत करता है..🙏🙏

*आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।
गलियों  में  गांव  के, बीते ‌ हैं  दिन-चार।
भूख मिटाने के लिए,छोड़ दिया घर-बार।
छोड़ दिया घर बार, चला परदेश कमाने।
शिक्षा हुई बेकार, चला वो  फर्ज़ निभाने।
बोले 'मन' कविराय,बात कुछ हमरी सुनियो।
भटके  वो  लाचार, शहर में गलियों-गलियों। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏

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