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वो पहला प्यार, स्कूल डेज़ वाला इश्क़। जहाँ बातें न

वो पहला प्यार, स्कूल डेज़ वाला इश्क़। जहाँ बातें नहीं सिर्फ़ नज़रों की अदला-बदली हुआ करती थी। वो प्रार्थना की लाइन में खड़े हो चोरी-चोरी से उसे देखना और साथ में ये भी देखना की कोई और देख न रहा हो। इनफैक्ट वो भी नहीं देख ले और जो ग़लती से उसकी नज़रों से नज़रें टकरा गयी तो समझो क़यामत।
उफ़्फ़, फिर पूरा दिन और पूरी रात इसी सोच में निकल जाती थी कि "हाय, वो क्या सोच रहा होगा" और यही सोच-सोच कर ग़ुलाबी हुए जाते थे। तब तो बता भी नहीं सकते थे किसी से क्यूँकि छोटे शहरों में लोग तुरंत जज करने लग जाते हैं। दूसरी अहम बात की सहेली को बता तो दें, मगर उसके पेट में बात पचेगी क्या? जब लड़ाई होगी तो सबको बोल देगी तो अलग ही आफ़त आ जानी है।
फिर इन आफतों के दौर से बचते हुए चोरी-चोरी इश्क़ का परवान चढ़ना। वो छुट्टी के वक़्त गेट से पहले निकल कर हमारी गली के पास रुक एक चिट्ठी का गिरा देना और हमारा सबसे नज़रें बचाते हुए उसे उठा लेना, दोगुने धड़कते दिल के साथ के, "हाय, लिखा क्या होगा?"
रात को सबके सो जाने के बाद, लैंप की मद्धम रौशनी में आँखों पर जोर डाल कर पढ़ना और पढ़ते हुए ब्लश करना। रात भर उस चिट्ठी की ख़ुमारी में डूबे रहना और सुबह स्कूल जाते वक़्त गली में उसे ढूँढना। वो न दिखे तो कम से कम उसकी साइकल ही दिख जाये, जो सायकल न भी दिखे तो उसका छोटा भाई ही दिख जाये और ऐसे में सामने से, पापा वाली स्कूटर पर फूल स्वैग में उसका आना। आते हुए उसके बालों का हवा में उड़ना और हमारी दो धड़कनों का स्किप हो जाना।
फिर स्कूल में लंच-ब्रेक में उसका क्रिकेट खेलना और जान बुझ कर बॉल को हमारी तरफ फेंकना। वो बॉल लेने आने के बहाने से हमें देखना और एक चौअनिया मुस्की छोड़ देना। हमारा फिर से एक और बार फ़िदा हो जाना।
वो 'दिल तो पागल है' के गानों में शाहरुख़ की जगह उसे सोचना और माया ख़ुद को समझाना। न्यू-ईयर की छुट्टी से पहले आर्चीज़ से कार्ड खरीद कर उसके छोटे भाई को देना और भारी मन से छुट्टी के लिए गांव जाना। गाँव जाते हुए रास्ते में किसी दूल्हा-दुल्हन को देखना और फिर उसे दूल्हा मान कर खुद में ही शर्मा जाना....
कुछ ऐसा मुलायम सा वो पहला प्यार, जिसको सोच कर अब भी एक धड़कन कहीं अंदर ही रह जाती है। बाक़ी लिखेंगे डिटेल से फिर कभी। आज बस वो, "तू मेरी ज़िंदगी है, तू मेरी हर ख़ुशी है" सुन रहे हैं शाम से तो उस ज़ोन में जा चुके हैं। ❤️ Anu Alewar
वो पहला प्यार, स्कूल डेज़ वाला इश्क़। जहाँ बातें नहीं सिर्फ़ नज़रों की अदला-बदली हुआ करती थी। वो प्रार्थना की लाइन में खड़े हो चोरी-चोरी से उसे देखना और साथ में ये भी देखना की कोई और देख न रहा हो। इनफैक्ट वो भी नहीं देख ले और जो ग़लती से उसकी नज़रों से नज़रें टकरा गयी तो समझो क़यामत।
उफ़्फ़, फिर पूरा दिन और पूरी रात इसी सोच में निकल जाती थी कि "हाय, वो क्या सोच रहा होगा" और यही सोच-सोच कर ग़ुलाबी हुए जाते थे। तब तो बता भी नहीं सकते थे किसी से क्यूँकि छोटे शहरों में लोग तुरंत जज करने लग जाते हैं। दूसरी अहम बात की सहेली को बता तो दें, मगर उसके पेट में बात पचेगी क्या? जब लड़ाई होगी तो सबको बोल देगी तो अलग ही आफ़त आ जानी है।
फिर इन आफतों के दौर से बचते हुए चोरी-चोरी इश्क़ का परवान चढ़ना। वो छुट्टी के वक़्त गेट से पहले निकल कर हमारी गली के पास रुक एक चिट्ठी का गिरा देना और हमारा सबसे नज़रें बचाते हुए उसे उठा लेना, दोगुने धड़कते दिल के साथ के, "हाय, लिखा क्या होगा?"
रात को सबके सो जाने के बाद, लैंप की मद्धम रौशनी में आँखों पर जोर डाल कर पढ़ना और पढ़ते हुए ब्लश करना। रात भर उस चिट्ठी की ख़ुमारी में डूबे रहना और सुबह स्कूल जाते वक़्त गली में उसे ढूँढना। वो न दिखे तो कम से कम उसकी साइकल ही दिख जाये, जो सायकल न भी दिखे तो उसका छोटा भाई ही दिख जाये और ऐसे में सामने से, पापा वाली स्कूटर पर फूल स्वैग में उसका आना। आते हुए उसके बालों का हवा में उड़ना और हमारी दो धड़कनों का स्किप हो जाना।
फिर स्कूल में लंच-ब्रेक में उसका क्रिकेट खेलना और जान बुझ कर बॉल को हमारी तरफ फेंकना। वो बॉल लेने आने के बहाने से हमें देखना और एक चौअनिया मुस्की छोड़ देना। हमारा फिर से एक और बार फ़िदा हो जाना।
वो 'दिल तो पागल है' के गानों में शाहरुख़ की जगह उसे सोचना और माया ख़ुद को समझाना। न्यू-ईयर की छुट्टी से पहले आर्चीज़ से कार्ड खरीद कर उसके छोटे भाई को देना और भारी मन से छुट्टी के लिए गांव जाना। गाँव जाते हुए रास्ते में किसी दूल्हा-दुल्हन को देखना और फिर उसे दूल्हा मान कर खुद में ही शर्मा जाना....
कुछ ऐसा मुलायम सा वो पहला प्यार, जिसको सोच कर अब भी एक धड़कन कहीं अंदर ही रह जाती है। बाक़ी लिखेंगे डिटेल से फिर कभी। आज बस वो, "तू मेरी ज़िंदगी है, तू मेरी हर ख़ुशी है" सुन रहे हैं शाम से तो उस ज़ोन में जा चुके हैं। ❤️ Anu Alewar
pravinkumar3858

Pravin Kumar

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