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कुछ आंसू हल्के होते है,और कुछ भारी होते है जो गिरत

कुछ आंसू हल्के होते है,और कुछ भारी होते है
जो गिरते नहीं,बैठे रहते है पलको पर
और रिसते हैं धीरे धीरे, सीने में बिना कुछ कहे
तड़प है इन भारी आंसुओ में बहुत
यही आंसू बनेंगे, एक ज्योति
ज्योति जो जलेगी तुम्हारे अंतर्मन में
और लाएगी परिवर्तन, निर्माण और मुक्ति
मुक्ति उस पीड़ा से, जो असहाय है
इन भारी आंसुओ को बल समझना

©Amit Kumar
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