सपनो से मिलाया तूने, मेरे दर्द को अपनाया तूने, घर को रौशनी दी हैँ, दूर बैठे अपनों को हसीं दी हैँ, कैसे अदा करूँगा ये सब ऐ बड़े शहर तेरा बहुत एहसान हैँ मुझपर!