साथ रहकर पता पड़ा रात का समय था, चांद आसमान में बादलों के बीच अपनी चमक को बनाएं रखने के लिए, मंद गति से गतिमान था। उस समय में और मेरी जीवनसंगनी तालाब के किनारे बैठे हुए, बादलों के बीच से आती हुई चमक, जो तालाब के जल को चांदी जैसी चमक प्रकट किए हुए थी। उस पूर्णिमा की रात में, हवाएं हमें कुछ गुनगुनानी सी प्रतीत हुई। ©anil foujdar #AdhureVakya #चांदनीरात