सुबह-सुबह तेरे अटरिया पे ये क्या हुआ, चली पुरवाई तेरे तन को छुआ। आँचल तेरी मेरे तन को छुआ, तेरी उड़ती ये जुल्फें मेरे मन को छुआ। सुबह-सुबह तेरे अटरिया..2 आँखे तेरी जुल्फों से ढकी । ,जुल्फें तेरी लबों में फसी। जुल्फें जो मैंने तेरे लबों से हटाया जाकर ओ फिर तेरे नथिये में फसा। सुबह-सुबह तेरे अटरिया पे ये क्या हुआ चली पुरवाई तेरे तन को छुआ। #अटरिया #अटरिया#raviravi