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सुबह-सुबह तेरे अटरिया पे ये क्या हुआ, चली पुरवाई त

सुबह-सुबह तेरे अटरिया पे ये क्या हुआ,
चली पुरवाई तेरे तन को छुआ।  
आँचल तेरी मेरे तन को छुआ,
तेरी उड़ती ये जुल्फें मेरे मन को छुआ।
सुबह-सुबह तेरे अटरिया..2 
आँखे तेरी जुल्फों से ढकी ।
,जुल्फें तेरी लबों में फसी।
जुल्फें जो मैंने तेरे लबों से हटाया
जाकर ओ फिर तेरे नथिये में फसा।
सुबह-सुबह तेरे अटरिया पे ये क्या हुआ
चली पुरवाई तेरे तन को छुआ। #अटरिया #अटरिया#raviravi
सुबह-सुबह तेरे अटरिया पे ये क्या हुआ,
चली पुरवाई तेरे तन को छुआ।  
आँचल तेरी मेरे तन को छुआ,
तेरी उड़ती ये जुल्फें मेरे मन को छुआ।
सुबह-सुबह तेरे अटरिया..2 
आँखे तेरी जुल्फों से ढकी ।
,जुल्फें तेरी लबों में फसी।
जुल्फें जो मैंने तेरे लबों से हटाया
जाकर ओ फिर तेरे नथिये में फसा।
सुबह-सुबह तेरे अटरिया पे ये क्या हुआ
चली पुरवाई तेरे तन को छुआ। #अटरिया #अटरिया#raviravi
raviravi7500

Ravi Ravi

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