अच्छे को अच्छा कहा तो, बुरे, बुरा मान लियें। सजा के तौर पर बुरो ने, अच्छों के ही जान लियें। बुरो का वर्चस्व रहा, अच्छा बेचारा सहमा रहा। थी जुबां खामोश पर, बहुत कुछ उसे कहना रहा। जानता था इन बुरो के बीच, क्या कहना और सुनना क्या? उम्मीद करें इनसे हम क्या? फिर सपनों को बुनना क्या? फिर बुरे बुराई फैलाते रहें, अच्छो की अच्छाई खाते रहें। अब बुराई ही अच्छाई है। ये कैसी विडंबना छाई है। अच्छे अब बुरे कहलाते है। यह देख बुरे मुस्काते है। #goodness #badness #badnessvsgoodness #shatyagashi