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नाटकीय रूपांतरण पात्र: हेमंत छुट्टी में घर आया



नाटकीय रूपांतरण


पात्र: हेमंत छुट्टी में घर आया है कहानी की नायक। 
राजवंती: हेमंत की माँ
किशोर: पिता
गीता: बहन
वीर: अनुज
रानी: मंगेतर

हेमंत; माँ आज अच्छा सा कुछ बनाना बहुत दिन हो गए तेरे हाथ का खाना खाये। 
राजवंती; हाँ हाँ क्यों नहीं पांच साल बाद घर आया है, आंखें तरस गयी थी तेरा मुखड़ा देखे हुए कह रो पड़ती है। 
किशोर:  बस शुरू हो गयी अरे बस कर अभी 
इसकी शादी की तैयारी भी करनी है। 

वीर का आगमन फोन लिए
वीर: भाई आपका फोन कोई अफसर आप से बात करना चाहता है। 

हेमंत: बात करता है फिर थोड़ा रुककर कहता है माँ मुझे सीमा से बुलावा आया है जल्दी जाना होगा। 
गीता : भाई अभी तो आपकी शादी की तैयारी.... 
रानी का आगमन कुछ हाथ में लिए हुए होता है
रानी : अरे सब मौन है क्या हुआ? ये मां ने खीर भेजी है हेमंत जी के लिए। 

हेमंत खीर लेता है

हेमंत: रानी अब तुम ही समझाओ माँ को अब बुलावा आया है तो जाना तो पडेगा। 
रानी: गीता अपने भाई से कहो ऐसा मजाक न करें। 
गीता: नहीं भाभी भाई को सच में जाना होगा। 
सभी शांत हो जाते हैं।


किशोर: अरे अब यूँ ही रहोगे या हेमंत केलिए कुछ बनाओगे। 
वीर : हाँ हाँ आज तो भाई के हीपंसद का बनेगा मुझे तो कोई पूछेगा भी नहीं। 
राजवंती, गीता व रानी रसोई जाते है व अगले दिन हेमंत ड्यूटी चला जाता है। 
कुछ दिनों बाद शहीद हेमंत लाया जाता है। 
माँ : बेटा देख मैं रो नहीं रही तुझे मेरा रोना पंसद नहीं न। 

गीता व वीर तो मानो मूरत बन गए हो विश्वास ही नहीं हो रहा भाई शहीद.... 
रानी का आगमन बदहवास सी

रानी: हेमंत जी मैं तुम्हारी सधवान हो सकी लेकिन ताउम्र विधवा बन रहूंगी। कहकर मंगनी की चूडियां तोड़ देती है। 

समाप्त 🙏


यह दृश्य लिखते वक्त मैं भी भावुक हो गयी थी, सच में ऐसे वीरों के कारण ही हम घरों में सुरक्षित हैं। 


जय हिंद जय जवान 🙏🙏

©Usha bhadula
  #Sunhera नाटक शहीद
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Usha bhadula

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