कुछ ख़ुमार सा था, प्यार बेशुमार सा था, दिल की तलहट पर कुछ कदमों के वो निशान.. पिछली मुलाक़ात के थे! कितना मजबूर हो कहा कि दूरियां हो तो हो.. लेकिन फ़ासले ना हो हमारे दिलों के दरमियां.. /✍️.... ~~पगडंडी जितनी~~ कुछ ख़ुमार सा था, प्यार बेशुमार सा था, दिल की तलहट पर कुछ कदमों के वो निशान.. पिछली मुलाक़ात के थे! कितना मजबूर हो कहा कि