जिसका गुरु हो पाषाण का और गंतव्य हो अत्यंत ही भव्य। स्वयं गुरु बन साधता है लक्ष्य को शौर्य से परिपूर्ण अद्भुत एकलव्य।। आदित्य कुमार भारती #एकलव्य स्वयं गुरु