उलगुलान की माटी में एक और उलगुलान चाहिए हम जुदा हैं सबसे हमारी अलग पहचान चाहिए ज़मीं पर रेंगना कीड़े-मकोड़े का काम होता है हम परिंदे हैं पर वाले हमें अपना आसमान चाहिए गिड़गिड़ाने से तुम्हारा हक नहीं देगी ये दुनिया है गर रगों में लहू तो कतरे-कतरे उफ़ान चाहिए ये उद्योग-धंधे माटी बेचकर बनाएंगे तौबा-तौबा हमें वही पुराना हरा-भरा खेत खलिहान चाहिए हमारे पुरखों ने पहाड़ काटकर ये ज़मीं बनायी है इस ज़मीं पे हमारी ही छत हमारा ही मकान चाहिए माञ - माटी आवाज़ दे रही है कि हर घर से अब सिद्धु कान्हु रघुनाथ बिरसा बिनोद जवान चाहिए ©Harlal Mahato #एक_और_उलगुलान उलगुलान - क्रांति संदर्भ - विविध #Nojoto #nojotohindi #nojotoshayari indira