होती उमंग बचपन से ही कार चलाने की आसमां में उड़ते जहाज से ललचाने की मन उड़ान बचपन की कैसे रोक लगा पाए। पर धरातल सच्चाई आरजू अरमान जगाए घर परिवार का छोटा होना भी जैसे शामत। हर नई वस्तु पाना रहती बहुत बड़ी आफत बड़ी बहन की शादी जैसे ही सम्पन्न हो गई। क्लास छठी में लेडीज़ साईकल मेरी हो गई। (कवि विजय गुप्ता, दुर्ग छ ग) Welcome to the Day 10 of #MeMoWriMo or the Memoir Writing Month. i.e. July. Today, talk about your first bicycle. #myfirstbicycle #remembertowrite #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Baba