"रिश्तों का बंधन" जब तक पतंग, मांझे से जुड़ी थी, बंधी थी मगर, क्या खूब उड़ी थी? बंधन था प्रेम का, गुलामी उसे समझ बैठी, टूटी जो मांझे से, कहीं जमीं पर पड़ी थी।। #firstquote #relations#family