क्या औरों की देखा-देखी में उलझे हो तुम देखो समझो ख़ुद को और आगे बढ़ो तुम मत तोलो किसी से ख़ुद को बेवज़ह ही तुम पहचानो कीमत अपनी मूल्यवान बनो तुम वक्त आने पर पहचान तिनके की भी होती है फूल-पत्तों से लहलहाता ऊँचा वृक्ष बनो तुम देख विशाल सागर स्वयं को तुच्छ ना मानो तुम बनता सागर जिससे वो अनमोल बूँद बनो तुम मत बाँधों ख़ुद को किसी बाहरी नाप-तोल में तुम बनो वो पुस्तक जिससे किसी को सीख दे सको तुम देखा देखी मत कर यारा कुछ तो अपने मन की कर #देखादेखी #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi