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सदियाँ बीत गई पर, अब भी इन गलियों की पहचान है,

सदियाँ  बीत  गई पर, अब भी इन  गलियों की  पहचान है,
गाँव की गलियों  में मौजूद, आज भी बचपन के  निशान हैं।
इसी गाँव में  मेरी जन्म भूमि, जो घर जमीन  मेरी धरोहर है,
इसी गाँव के  पश्चिम में, खूबसूरत  फूस का  मेरा मकान है।
इन्हीं गलियों में  हम भागते थे, दौड़कर कहीं  छुप जाते थे,
इन गलियों का हर नक्शा, जेहन में आज भी विराजमान है। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏

💫Collab with रचना का सार..📖

🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों  को रचना का सार..📖 के प्रतियोगिता :- 146 में स्वागत करता है..🙏🙏

*आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।
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इसी गाँव के  पश्चिम में, खूबसूरत  फूस का  मेरा मकान है।
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