एहसान तेरी सोहबत का, रूह का रूप महताब सा निखरा है आब-ए-हयात रहमत का, क़तरा क़तरा मिरी लहू में उतरा है, शुऊ'र पर मिरी विज्दान-ए-जौहर का, कीमती ख़ज़ाना बरसा है तेरी पनाह में ए-ख़ुदा, मिरी ज़िन्दगी का हर काह भी सँवरा है। विज्दान:- अंतर्ज्ञान 👉🏻 प्रतियोगिता- 642 विषय 👉🏻 🌹"एहसान"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य है I 🌟कृपया font size छोटा रखें जिससे wallpaper ख़राब नहीं लगे और Font color का भी अवश्य ध्यान रखें ताकि आपकी रचना visible हो।