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तुम विजेता हो प्रेयसी, तुम लड़ती हो, न कवच न कु

  तुम विजेता हो प्रेयसी, 
तुम लड़ती हो,
 न कवच न कुंडल न ही खड्ग है,
 तुम लड़ती हो मगर फिर भी,
 विजेता तुम धन्य हो.... 
मैं पुरुष... अहं पुरुषार्थ का,
प्रतिबिम्ब गगन का, 
बना हुआ हुँ धुआँ धुआँ
  तुम विजेता हो प्रेयसी, 
तुम लड़ती हो,
 न कवच न कुंडल न ही खड्ग है,
 तुम लड़ती हो मगर फिर भी,
 विजेता तुम धन्य हो.... 
मैं पुरुष... अहं पुरुषार्थ का,
प्रतिबिम्ब गगन का, 
बना हुआ हुँ धुआँ धुआँ
rajasaheb0231

Raja Saheb

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