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पतझड़ आने पर, ये हरे-भरे जंगल श्मशान नज़र आते हैं अ

पतझड़ आने पर, ये हरे-भरे जंगल
श्मशान नज़र आते हैं

अँधेरी रातों में, दौड़ते-भागते रास्ते
सुनसान नज़र आते हैं

उड़ चले हैं पंछी, अपने आसियाँ छोड़ कर 
अब सारे घोंसले गुमनाम नज़र आते हैं

और धुंधला चुकी है भीड़ में, मेरी पहचान इस तरह 
के मानो
हम अपने ही घर में, मेहमान नज़र आते हैं
           🍁विकास कुमार🍁

©Vikas Kumar Chourasia #Khamoshi_ख़ामोशी
पतझड़ आने पर, ये हरे-भरे जंगल
श्मशान नज़र आते हैं

अँधेरी रातों में, दौड़ते-भागते रास्ते
सुनसान नज़र आते हैं

उड़ चले हैं पंछी, अपने आसियाँ छोड़ कर 
अब सारे घोंसले गुमनाम नज़र आते हैं

और धुंधला चुकी है भीड़ में, मेरी पहचान इस तरह 
के मानो
हम अपने ही घर में, मेहमान नज़र आते हैं
           🍁विकास कुमार🍁

©Vikas Kumar Chourasia #Khamoshi_ख़ामोशी