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ये बंजारों की बस्ती है, रोज बसती और उजड़ती है । आज

ये बंजारों की बस्ती है, रोज बसती और उजड़ती है ।
आज यहाँ कल वहाँ ठिकाना, पैरों तले है सारा जमाना ।।
घाटघाट का पानी पीकर, कटती सदा ही मस्ती है ।
ये बंजारों की बस्ती है ।।
ये बंजारों की बस्ती है, रोज बसती और उजड़ती है ।
आज यहाँ कल वहाँ ठिकाना, पैरों तले है सारा जमाना ।।
घाटघाट का पानी पीकर, कटती सदा ही मस्ती है ।
ये बंजारों की बस्ती है ।।