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एक अनजान भीड़, एक काफिला वो हमसे मिली ,मैं उससे म

एक अनजान भीड़, एक काफिला 
वो हमसे मिली ,मैं उससे मिला
चलता रहा मुलाकातों का सिलसिला
भूल गये दुनिया के रंजो गम
वो मेरी हुई मैं उसका हो लिया
तलाश थी एक नई जिंदगी की
वो तराश गई एक नई ज़िंदगी को
ख्वाब कुछ उसके भी थे, शायद जो अधूरे छूट गए
सवारने में मेरे सपनो को वो अपने आप को भूल गए।

©मलंग
  #sprituallove