मेरा अच्छा सोचती है वो।
ना जाने क्या-क्या सोचती है वो ?
मोहब्बत है, उसे भी।
लेकिन इजहार से डरती है।
हमें भी कोई शिकायत नहीं उनसे।
वो मोहब्बत को जमाने से छुपा कर रखती है ।
हां, जरूर उसने कुछ अल्फाज लिखे हैं मेरे लिए।
हां, जरूर उसने कुछ अल्फाज़ लिखे हैं मेरे लिए। #कविता#Niaz