मेरी खामोशी भी मेरे अल्फाजों कि डोर है! मै छुप रहता हूँ भी तो, क्या यहाँ मेरी आँखो का ही शोर हैं। और ये धीमी धीमी चाल से उस भीड़ मे विलीन क्यों हो रही हो जान । मेरी नजरे सिर्फ तुम पर है यहाँ शिकार तो कोई ओर है । ©its@re D@mor quotes of the day