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वो दिन भी कितने खास थे, चार दिवारी के भीतर, खुशियो

वो दिन भी कितने खास थे,
चार दिवारी के भीतर,
खुशियों के साल थे
10 साल तक जो जेल लगा करता
आज पता चल ह यारों,
वो स्कूल जेल कोन्या, जन्नत के दिन थे।
ओर थारे वरगे यार मेरे,
ओर कही न थे।
वो स्कूल के दिन औऱ
मैं अपने साथ कुछ यादों के पल ले आया।
first बैंच से लेकर last बैंच तक के
अनुभव ले आया था।
थारे वरगे जिगरी यारा के साथ,
बिताये कुछ यादगार पल ले आया था।
स्कूल के लास्ट 2 साल घने ही miss करू सु।
2nd bench पर बैठे,मेरे यारा न घना ही याद कर सु
ओर खिड़की तह बाहर का नजारा देखन न तरसू हु।
ओर भाइयों के ग्रुप में ,
एक बार फिर बैठन की सोचू हु।


घने यादगार पल कोनी बनाये
पर जो बनाये ,वो zindagi से कम कोन्या थे।
थारे साथ मे बिताया वो टेम,
इब  नही आना।

ट्यूशन के बहाने ही सही,
एक बह फिर वही ज़िन्दगी जीना चाहवा।
शाम की क्लास का वो 1 घण्टा,
फेर साथ बैठना चाहवा।
फिर एक बह इकट्ठे बैठ,
NSS का खाना खाना चाहवा।
शाम की चाय के एक बह फिर आनंद लेना चाहवा
वो दिन भी कितने खास थे,
जो स्कूल के राज थे।
miss u yaarooo.... वो दिन भी कितने खास थे।
जब हम यारो के साथ थे
वो दिन भी कितने खास थे,
चार दिवारी के भीतर,
खुशियों के साल थे
10 साल तक जो जेल लगा करता
आज पता चल ह यारों,
वो स्कूल जेल कोन्या, जन्नत के दिन थे।
ओर थारे वरगे यार मेरे,
ओर कही न थे।
वो स्कूल के दिन औऱ
मैं अपने साथ कुछ यादों के पल ले आया।
first बैंच से लेकर last बैंच तक के
अनुभव ले आया था।
थारे वरगे जिगरी यारा के साथ,
बिताये कुछ यादगार पल ले आया था।
स्कूल के लास्ट 2 साल घने ही miss करू सु।
2nd bench पर बैठे,मेरे यारा न घना ही याद कर सु
ओर खिड़की तह बाहर का नजारा देखन न तरसू हु।
ओर भाइयों के ग्रुप में ,
एक बार फिर बैठन की सोचू हु।


घने यादगार पल कोनी बनाये
पर जो बनाये ,वो zindagi से कम कोन्या थे।
थारे साथ मे बिताया वो टेम,
इब  नही आना।

ट्यूशन के बहाने ही सही,
एक बह फिर वही ज़िन्दगी जीना चाहवा।
शाम की क्लास का वो 1 घण्टा,
फेर साथ बैठना चाहवा।
फिर एक बह इकट्ठे बैठ,
NSS का खाना खाना चाहवा।
शाम की चाय के एक बह फिर आनंद लेना चाहवा
वो दिन भी कितने खास थे,
जो स्कूल के राज थे।
miss u yaarooo.... वो दिन भी कितने खास थे।
जब हम यारो के साथ थे