ज़िंदगी कुछ इस तरह आजकल निकल रही कि दिन की शुरुआत इक उम्मीद से होती और शाम के वक़्त तक सिर्फ़ यादें हाथ आती रात अक्सर तन्हाई और नींद ख़्वाबों के इंतज़ार में हमेशा की तरह कटती पर उसका दिल है कि जहाँ की बंदिशों का डर अब नहीं अच्छा लगता महलों सा भी कोई घर बसेरा उसके दिल या कि नयन के कोरों में हो जो दुनिया से अलग बस उसी नज़रों में हो यह सहज भोलापन जो नहीं समझ सकता दो आँखों का सूनापन कब तक दम साधे रहेगा यह उम्र का दीवानापन #shamaurtanhai #sunapan #yqdidi #zindagi