मैं शब्द हूँ , किसी वाक्य में बस पिरोया हुआ , कभी उद्घोषित कभी सोया हुआ, कभी नाम कभी क्रिया कभी विशेषण हूँ, कभी उपमाओं का एक अन्वेषण हूँ , अर्थ हर बार एक नया पाता हूँ , जैसे वाक्य में जब संजोया जाता हूँ , कभी उनमान कभी सारांश, कभी काव्य या पटकथा का हिस्सा हूँ , मैं शब्द ही हूँ जो रचता, हर कविता कहानी या किस्सा हूँ ।। ©Dinesh Paliwal #Vakya #Upma #Saransh