Nojoto: Largest Storytelling Platform

इस रात की तन्हाई में नजाने क्यों ये मायूसी सी छायी

इस रात की तन्हाई में नजाने क्यों ये मायूसी सी छायी हैं,
पलके जुकाये में सोया हूँ पर कम्बख्त ये नींद नही आयी हैं।

गुनगुनाती रहती हैं यूँ तो हज़ारो पंक्तिया इस चंचल मन में,
पर ज़ेहन में जो बात हैं वो फिरभी कलम तक नहीं आयी हैं।

लगता हैं कुछ स्पर्धा सी चल रही हो ये मेरे दिमाग में,
मगर आज भी ये नींद मेरे खयालो से जीत नही पायी हैं।

हर मेरी करवट के साथ एक नया सा खयाल आ जाता हैं,
जैसे मेरे इस मन पर अनजान खयालो ने कुंडली जमाई हैं।

मुख़्तसर सी हो गयी हो इन दिनों रातो की ये नींद मेरी
और पूरी रात जैसे "रुद्र" मेरी बेखयाली में खयाली हैं।

- जय त्रिवेदी ("रुद्र") #खयाली
इस रात की तन्हाई में नजाने क्यों ये मायूसी सी छायी हैं,
पलके जुकाये में सोया हूँ पर कम्बख्त ये नींद नही आयी हैं।

गुनगुनाती रहती हैं यूँ तो हज़ारो पंक्तिया इस चंचल मन में,
पर ज़ेहन में जो बात हैं वो फिरभी कलम तक नहीं आयी हैं।

लगता हैं कुछ स्पर्धा सी चल रही हो ये मेरे दिमाग में,
मगर आज भी ये नींद मेरे खयालो से जीत नही पायी हैं।

हर मेरी करवट के साथ एक नया सा खयाल आ जाता हैं,
जैसे मेरे इस मन पर अनजान खयालो ने कुंडली जमाई हैं।

मुख़्तसर सी हो गयी हो इन दिनों रातो की ये नींद मेरी
और पूरी रात जैसे "रुद्र" मेरी बेखयाली में खयाली हैं।

- जय त्रिवेदी ("रुद्र") #खयाली
jaytrivedi5022

Jay Trivedi

New Creator