लगी ये कैसी लगी लग्न बस दिल तुझमें ही है मग्न, न रातों का पता, न दिन की खबर है इसे, ये तो खो रहा है, दिन-रात तेरे ही ख्यालों में | क्या ये मेरे प्यार का सुंदर-सा अहसास हैं,,,, जिसमें सिर्फ तेरी ही अग्न लगी है हर-वक्त | प्यार तो मेरा खुदा ही बन गया,,, जिसमें तुम-ही-तुम हो | यार मेरा कब दिलदार बन गया? इसकी भी नहीं मुझे कोई खबर कैसा ये नशा था रहा हैं , मुझ पर हर वक्त,,,, लग्न