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मैं और देश दोनों 2014 तक धर्म निरपेक्ष हुआ करते थ

मैं और देश दोनों 2014 तक 
धर्म निरपेक्ष हुआ करते थे।
फिर देश अचानक द्वेष में बदल गया।
कुछ लोग हिंदू-हिंदू करने लगे और
कुछ मुस्लिम-मुस्लिम और ये देश
फिर से धर्मों में बंट गया।
कुछ लोग है जो जय श्री राम को 
अपनी ढाल बनाए बैठे है।
कुछ लोग नारा ए तकबी को 
अपनी मशाल बनाए बैठे है।
मैं शायद अकेला ही हूँ?जो
गीता के दसवें अध्याय के बीसवें श्लोक को
सार समझ कर बैठा हूँ?
 जिसमें श्री भगवान कहते है
की आदि,अंत और मध्य मैं ही हूँ।
मैं शायद किसी भरम में हूँ या दुनिया है।
मैं शायद अकेला हूँ जिसे अब्दुल कलाम
और अटलबिहारी दोनों पसंद है।
मैं शायद अकेला ही हूँ जो रामनवमी में
मंदिर और उर्स में दरगाह और क्रिसमस में
गिरिजाघर जाता हूँ, मैं शायद अकेला ही हूँ जिसका
गुरुद्वारे के सामने सर झुक जाता है।
मैं शायद अकेला ही हूँ जो हनुमान मंदिर के 
सामने वाले जैन मंदिर को भी प्रणाम करता हूँ।
मैं शायद अकेला ही हूँ जो ईश्वर के
हर रूप को सरेआम करता हूँ। मैं और देश दोनों 2014 तक 
धर्म निरपेक्ष हुआ करते थे।
फिर देश अचानक द्वेष में बदल गया।
कुछ लोग हिंदू-हिंदू करने लगे और
कुछ मुस्लिम-मुस्लिम और ये देश
फिर से धर्मों में बंट गया।
कुछ लोग है जो जय श्री राम को 
अपनी ढाल बनाए बैठे है।
मैं और देश दोनों 2014 तक 
धर्म निरपेक्ष हुआ करते थे।
फिर देश अचानक द्वेष में बदल गया।
कुछ लोग हिंदू-हिंदू करने लगे और
कुछ मुस्लिम-मुस्लिम और ये देश
फिर से धर्मों में बंट गया।
कुछ लोग है जो जय श्री राम को 
अपनी ढाल बनाए बैठे है।
कुछ लोग नारा ए तकबी को 
अपनी मशाल बनाए बैठे है।
मैं शायद अकेला ही हूँ?जो
गीता के दसवें अध्याय के बीसवें श्लोक को
सार समझ कर बैठा हूँ?
 जिसमें श्री भगवान कहते है
की आदि,अंत और मध्य मैं ही हूँ।
मैं शायद किसी भरम में हूँ या दुनिया है।
मैं शायद अकेला हूँ जिसे अब्दुल कलाम
और अटलबिहारी दोनों पसंद है।
मैं शायद अकेला ही हूँ जो रामनवमी में
मंदिर और उर्स में दरगाह और क्रिसमस में
गिरिजाघर जाता हूँ, मैं शायद अकेला ही हूँ जिसका
गुरुद्वारे के सामने सर झुक जाता है।
मैं शायद अकेला ही हूँ जो हनुमान मंदिर के 
सामने वाले जैन मंदिर को भी प्रणाम करता हूँ।
मैं शायद अकेला ही हूँ जो ईश्वर के
हर रूप को सरेआम करता हूँ। मैं और देश दोनों 2014 तक 
धर्म निरपेक्ष हुआ करते थे।
फिर देश अचानक द्वेष में बदल गया।
कुछ लोग हिंदू-हिंदू करने लगे और
कुछ मुस्लिम-मुस्लिम और ये देश
फिर से धर्मों में बंट गया।
कुछ लोग है जो जय श्री राम को 
अपनी ढाल बनाए बैठे है।