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क्या आपने कभी अपने शांत दिमाग से सोचा है और क्या क

क्या आपने कभी अपने शांत दिमाग
से सोचा है और क्या कभी खुद से
यह पूछा है की आप जीवन में बड़ी बड़ी खुशियों
को पाने के चक्कर मैं अपनी कितनी
छोटी छोटी खुशियों को यूं ही नजरंदाज 
कर देते है यानी बड़ी बड़ी खुशियों के 
आंगें आप अपनी छोटी छोटी खुशियों
को भूल ही जाते है लेकिन मैं आपको 
बता दूं की जैसे घर केवल एक ही प्रकार 
की वस्तु ,पदार्थ या सामग्री से नहीं बनता है
उसी तरह इस जीवन में भी केवल बड़ी बड़ी
वस्तुओं ,सामग्रियों और भावों से सुख या 
खुशी नहीं मिल सकती है इस जीवन में
सभी चीजों की ज़रूरत पड़ती है और सभी
का अपना अपना महत्व होता है फिर चाहे
वो भाव ,वस्तु कितनी भी छोटी से छोटी 
क्यों ना हो 
बात गंभीर, सत्य और चिंतन 
योग्य है थोड़ी गंभीरता से सोचिए 
बात समझ में जरूर आएगी

©"pradyuman awasthi" #जीवन की छोटी छोटी खुशियां
क्या आपने कभी अपने शांत दिमाग
से सोचा है और क्या कभी खुद से
यह पूछा है की आप जीवन में बड़ी बड़ी खुशियों
को पाने के चक्कर मैं अपनी कितनी
छोटी छोटी खुशियों को यूं ही नजरंदाज 
कर देते है यानी बड़ी बड़ी खुशियों के 
आंगें आप अपनी छोटी छोटी खुशियों
को भूल ही जाते है लेकिन मैं आपको 
बता दूं की जैसे घर केवल एक ही प्रकार 
की वस्तु ,पदार्थ या सामग्री से नहीं बनता है
उसी तरह इस जीवन में भी केवल बड़ी बड़ी
वस्तुओं ,सामग्रियों और भावों से सुख या 
खुशी नहीं मिल सकती है इस जीवन में
सभी चीजों की ज़रूरत पड़ती है और सभी
का अपना अपना महत्व होता है फिर चाहे
वो भाव ,वस्तु कितनी भी छोटी से छोटी 
क्यों ना हो 
बात गंभीर, सत्य और चिंतन 
योग्य है थोड़ी गंभीरता से सोचिए 
बात समझ में जरूर आएगी

©"pradyuman awasthi" #जीवन की छोटी छोटी खुशियां