ज़िंदगी दिसंबर सी ज़िन्दगी दिसंबर सी बर्बाद हो चली थी किसी और कि दुनिया आबाद हो चली थी जलाया था मैंने आंधियो से लड़ कर अपने इश्क़ का दिया देखा तो वो रोशनी किसी और के घर की ओर चली थी फर्क नही था दुबारा दिल टूटने में उस बार की तरह इस बार भी सिर्फ मैं ही जली थी तू काबिल बहुत था मेरी मोहब्बत के मुकद्दर में बस तुझे मेरी कद्र कभी नही थी साल बदल रहा हैं तू भी बदल जा नया साल किसी और के नाम कर दे ये आखरी दिसंबर मेरे नाम थी हर दर्द सह के भी तेरे साथ रही मैं उसे भी आजमाना क्या वो सिर्फ तेरी थी बहुत भा रही हैं तुम्हे रंगीनियां उसकी वक़्त बताएगा वो चेहरा थी या छल मुखोटा थी #december#zindagidecembersi#day06