अपने गुनाहों की सज़ा देने की , ऐ ख़ुदा ! अदा काश! आती। उन जख्मों पर मरहम लगाने की, अदा काश !आती।। हमारे लाखों सितम के बाद भी जो साथ नहीं छोड़ते। ऐ ख़ुदा! उनके रूह को सुकून देने की, अदा काश! आती।। #अदा #ज़ख्म #सुकून #शायरी