किसान जी रहे हैं मर-मर कर, जवानों की नहीं किसी को फ़िकर। कर्त्तव्य पथ पर डटे हुए हैं, हमारे ख़ातिर ही बंटे हुए हैं। न जाने कितने कष्टों में वे दोनों रहते हैं, हमें सुख देने हेतु हर मुश्किल वो सहते हैं। प्रतियोगिता का अंतिम चरण। (२ अक्टूबर प्रतियोगिता) विषय - दो लेखकों को मिलकर पूरा करना है। 🔹पंक्ति बाध्यता नहीं है, लेकिन पृष्ठभूमि पर ही लिखेंगे। समय सीमा 2.00 AM 3rd October 2020 (तीनों चरण के लिए।)