तेरा यूँ बेवजह चुपचाप चले जाना बड़ा ही खलता है, पर ये यादों का सिलसिला तो आज भी चलता है, वो खिलखिला कर तेरा मुस्कुराना फ़िर शांत हो जाना, बस इन खूबसूरत यादों का एक दिल मे चिराग जलता है, तारो का टिमटिमाना और जगमगाते ये रोशनी के दाग, तो दिखाई देते है पर न जाने ये चाँद क्यो न निकलता है, ख्वाबों में तुमसे मिलकर हर ख्वाहिश का पूरा करने का, हर सपना बस मन ही मन यूँ ही बेवजह ही क्यो पलता है, हर पहर,हर सहर, हर दुपहरी, हर शाम बस तेरा इंतजार, नही आना तुझे फिर भी मन का सूरज तो हर शाम ढलता है। ♥️ Challenge-741 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।